।।बड़े होने का एहसास।।

यूँ तो आज भी मां की गोद में लेट जाता हूं।
आज भी रो कर अपनी बात मानवता हूं।
पर वो हर चीज़ का ना मिलना बड़े होने का एहसास करा गया।
यूँ तो आज भी नटखट होकर गलती करता हूं।
और फिर पापा की डांट से भी डरता हूँ।
लेकिन वो पापा का कुछ न कहना बड़े होने का एहसास करा गया।
यूँ तो आज भी ठोकर लग कर गिर जाता हूं।
आज भी चोट खा कर छुप जाता हूं।
पर वो मां को ना बताना बड़े होने का एहसास करा गया।
यूँ तो आज भी वो बुरे लोग मुझे बुरे ही लगते है।
आज भी उनके काम गलत लगते है।
"पर वो मैं ही तो नही..." बड़े होने का एहसास करा गया।
यूँ तो आज भी मन करता है कि बस पूरा दिन खेलता रहू।
बस अपनी छोटी सी दुनिया में खुश रहू।
पर वो भविष्य का सपना बड़े होने का एहसास करा गया।
यूँ तो आज भी माँ गोद में सुला लेती है।
और पापा डाँट भी देते है।
पर लोगो का वो सबक.... बड़े होने का एहसास करा गया।
-तुषार चौहान

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